महाकुंभ नगर खास खबर ✍🏻: प्रतीक्षा खत्म हुई। सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में घड़ियों की सुई जैसे ही 4.32 पर पहुंची। महाकुंभ वैसे ही प्रारंभ हो गया। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व का यही पुण्यकाल है लेकिन श्रद्धालुओं की यह व्यग्रता ही है कि उन्होंने आधी रात से ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम के साथ विभिन्न घाटों पर स्नान शुरू कर दिया। संगम क्षेत्र में सोमवार से ही माह भर का कल्पवास प्रारंभ हो गया है। महाकुंभ का पहला स्नान, 60 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई:20 देशों से आए भक्त, संगम तक 12 किमी पैदल यात्रा; 60 हजार जवान तैनात है
मकर संक्रांति पर अमृत स्नान पर्व का अनूठा संयोग जुड़ रहा है। दोनों ही स्नान पर्वों के एक साथ पड़ने से श्रद्धालुओं में उत्साह है। ठंड और बूंदाबांदी के बावजूद श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा हुआ है। संतों-महतों के शिविर जागृत हैं। पूरे मेला क्षेत्र में प्रवचन व वेद की ऋचाओं की गूंज है। मेला में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है।
श्रद्धालुओं कई किलोमीटर पैदल चलकर मेला क्षेत्र में पहुंचे। पौष पूर्णिमा व मकर संक्रांति पर 12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले सभी 44 घाटों पर स्नान के लिए आए संतों और श्रद्धालुओं पर सरकार की तरफ से हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराई जाएगी। रविवार सुबह से ही प्रयागराज की सड़कों पर वाहनों व पैदल यात्रियों का रेला दिखने लगा।
दोपहर में बारिश होने से लोग इधर-उधर छांव तलाशते ठिठके जरूर लेकिन बूंदाबांदी थमते ही फिर सड़कों पर दिखे। इससे चहुंओर जाम की स्थिति रही। पुलिस पसीने-पसीने होती रही। भीड़ का दवाब देखते हुए महाकुंभ क्षेत्र में कुछ पुलों पर आवागमन रोक दिया गया। यातायात प्रबंधन योजना में तात्कालिक तौर पर संशोधन किए गए। साथ ही चार हजार हेक्टेयर में विस्तारित महाकुंभ क्षेत्र में तैयारियों का रिहर्सल भी कर लिया गया।