मुँगेली प्रीतेश आर्य ✍🏻 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव के अवसर पर मुँगेली में भव्य पथसंचलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में नगर और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने भाग लिया। पथसंचलन की शुरुआत संघ की परंपरागत वेशभूषा में घोष (बैंड) के साथ हुई, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरा और जनसमूह ने इसे बड़े उत्साह के साथ देखा।
मुख्य वक्ता के रूप में संघ के प्रांत संचालक टोपलाल वर्मा ने संबोधित किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संघ की स्थापना विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने हिंदू समाज को संगठित करने के उद्देश्य से की थी। उन्होंने कहा कि साढ़े बारह सौ वर्षों तक मुगलों ने हमारे धार्मिक मानबिंदुओं को तहस-नहस करने का प्रयास किया, लेकिन हिंदू समाज ने हर संकट का सामना करते हुए अपनी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक आस्थाओं को जीवित रखा।श्री वर्मा ने आगे बताया कि नागपुर से प्रारंभ हुआ संघ आज 73,000 से अधिक शाखाओं के रूप में पूरे देश में स्थापित हो चुका है। साथ ही, विश्व के 43 से अधिक देशों में संघ की शाखाएँ सक्रिय हैं। यह संघ की 99 वर्षों की साधना का परिणाम है कि आज हिंदू समाज संगठित हो रहा है और इसका सकारात्मक प्रभाव समाज पर दिखाई दे रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 2014 में हिंदूवादी सरकार के आने के बाद जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति और भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई, जिसके लिए संपूर्ण समाज ने अपना योगदान दिया और हर गांव-मंडल से समाज को आमंत्रित किया गया था।
श्री वर्मा ने आने वाले संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारियों पर चर्चा करते हुए कहा कि संघ का लक्ष्य है कि हर गांव में संघ की शाखा स्थापित हो और नगरीय क्षेत्रों में 3% तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 1% स्वयंसेवक सक्रिय रूप से कार्य करें। उन्होंने कहा कि 2047 में स्वतंत्रता के सौवें वर्ष में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए संघ के स्वयंसेवकों का पुरुषार्थ बहुत महत्वपूर्ण होगा।
इसके साथ ही, पर्यावरण के प्रति जागरूकता का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हमें वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्लास्टिक का उन्मूलन करना होगा ताकि हमारी धरती शुद्ध और सुरक्षित बनी रहे। उन्होंने समाज को पारिवारिक और सामाजिक समरसता बनाए रखने का संदेश दिया और भारतीय परिवार व्यवस्था को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के समापन पर पथसंचलन के दौरान अनुशासित ढंग से नगर की गलियों में संघ के स्वयंसेवकों ने अपना शौर्य प्रदर्शन किया, जिसे देखकर नगरवासियों में गर्व और उत्साह का माहौल रहा।
यह विजयादशमी उत्सव संघ के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ते हुए समाज के संगठन, देशप्रेम और राष्ट्रनिर्माण के कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।