आज ( गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024) शुभ दीपावली है। दीपोत्सव का यह पर्व पांच दिनों तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। दिवाली पर घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी-गणेश पूजन और मिट्टी के दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है।
दिवाली पर घरों में दीप जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही साथ दिवाली की शाम को विधि-विधान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, धन-दौलत और शांति आती है।
इस वर्ष दीपावली को तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि दिवाली कब मनाई जाए 31 अक्तूबर को या फिर 01 नवंबर को। दरअसल इस बार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि दो दिन रहेगी, जिस कारण से भ्रम पैदा हुआ।
लेकिन देश के अधिकांश जाने-माने वैदिक संस्थान और ज्योतिषाचार्य की राय के अनुसार दिवाली 31 अक्तूबर को मनाना ज्यादा शुभ माना गया है। इस कारण से देशभर के ज्यादातर जगहों पर 31 अक्तूबर को दिवाली मनाई जा रही है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को धन और वैभव प्रदान करने वाली माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन दिवाली और लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न और अमावस्या तिथि पर करना सबसे अच्छा होता है। ऐसी मान्यता है प्रदोष काल और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा और आवहन करने पर माता लक्ष्मी साधक के घर पर अंश रूप में ठहर जाती हैं। दिवाली का उत्सव और लक्ष्मी पूजन करना तभी उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 01 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में 31 अक्तूबर को प्रदोष काल से निशिता काल तक अमावस्या तिथि व्याप्त रहेगी, जबकि 01 नवंबर को अमावस्या तिथि पर पूर्ण प्रदोष काल और निशिता काल का स्पर्श नहीं हो सकेगा।
इस कारण से 31 अक्तूबर को दीपोत्सव पर्व और लक्ष्मी पूजन करना अच्छा रहेगा। आइए जानते है 31 अक्तूबर को दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे ज्यादा मुहूर्त किस समय रहेगा।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (31 अक्तूबर 2024)
दिवाली पर महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए सभी मुहूर्त और चौघड़िया के समय को मिलाकर 31 अक्तूबर 2024 को शाम 05 बजकर 32 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट के लक्ष्मी पूजन करना सबसे अच्छा रहेगा। वैदिक पंचांग के अनुसार 31 अक्तूबर को प्रदोष काल की शुरुआत शाम 05 बजकर 48 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। वहीं स्थिर वृषभ लग्न की शुरुआत शाम 06 बजकर 35 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 33 मिनट तक रहेगा