लोरमी में गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत यात्रा का भव्य स्वागत, फूलों से सजी सड़कों पर उमड़ी श्रद्धा

लोरमी – सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ सिख संगठन द्वारा निकाली गई शहादत यात्रा आज लोरमी पहुंची। स्थानीय सिख समाज ने यात्रा का अत्यंत भव्य और भावपूर्ण स्वागत किया। यह यात्रा गुरु साहिब के बलिदान की अमर गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का संदेश लेकर निकली है
।रायपुर से प्रारंभ हुई यह शहादत यात्रा सिख समाज के गौरवशाली इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। सिख समुदाय ने मुगल काल, अंग्रेजी शासन, 1965-71 के युद्ध, पड़ोसी देशों के छद्म हमलों और कोरोना महामारी के दौरान हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है, भले ही देश की कुल आबादी में उनका प्रतिशत मात्र 2% है।गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने कश्मीरी पंडितों की पुकार पर धर्म, तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए अत्याचारी मुगल बादशाह औरंगजेब का डटकर सामना किया। इसके लिए उन्हें उनके तीन वफादार साथियों – भाई सती दास, भाई मति दास और भाई दयाला जी के साथ दिल्ली में गिरफ्तार कर अत्यधिक यातनाएं दी गईं। अंत में, गुरु साहिब का शीश धड़ से अलग कर दिया गया। आज दिल्ली के चांदनी चौक स्थित शीश गंज और रकाब गंज गुरुद्वारा इन ऐतिहासिक बलिदानों के साक्षी हैं।लोरमी में पंज प्यारों की अगुवाई में नगर कीर्तन निकाला गया। शबद कीर्तन करते हुए श्रद्धालुओं ने सड़कों पर फूल बिछाकर यात्रा का स्वागत किया। यह दृश्य आस्था और श्रद्धा का अनुपम उदाहरण था। कीर्तन का समापन लोरमी गुरुद्वारा में हुआ, जहां संगत ने गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्शन कर अरदास की।गुरुद्वारा परिसर में आयोजित सभा में सिख समाज के मीडिया प्रभारी आकाश सलूजा ने मंच संचालन किया। रायपुर से आए इंदरपाल सिंह अजमानी ने यात्रा के उद्देश्य, मार्ग और महत्व पर प्रकाश डाला। सिख समाज के अध्यक्ष अनिल सलूजा ने सभी श्रद्धालुओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि गुरु साहिब का बलिदान आज भी हमें एकता, साहस और मानवता की सेवा का संदेश देता है।यात्रा में रायपुर से इंद्रजीत सिंह छाबड़ा, कुलदीप सिंह चावला, सतपाल सिंह खनूजा, इंदरपाल सिंह अजमानी, आशीष सिंह खनूजा, अर्श सिंह, ग्रंथी जी सहित लोरमी सिख समाज के प्रधान अनिल सलूजा, मंजीत सलूजा, शैलेंद्र सलूजा, आकाश मोंटी सलूजा, रिक्की सलूजा, गुरमीत सलूजा, अमित सलूजा, रितेश सलूजा, बबलू छाबड़ा, बंटी छाबड़ा, पप्पू छाबड़ा, इंद्रजीत छाबड़ा, पप्पू सलूजा, राजू सलूजा, पिंटू उपवेजा, रितु छाबड़ा, बंटी उपवेजा, राजू उपवेजा, अशोक सलूजा, रंजीत सलूजा, मिंटू छाबड़ा, राम छाबड़ा, रानू, राहुल साहनी, राजवीर बग्गा, देवेंद्र सलूजा, आशुतोष सलूजा, विकास सलूजा, नवीन सलूजा, गगन सलूजा, अमन सलूजा, शुभम सलूजा, सनी सलूजा, शैम्पी सलूजा, रौनक सलूजा, पवन सलूजा, सागर सलूजा, सिद्धार्थ छाबड़ा, राज सलूजा सहित बड़ी संख्या में सिख समाज की महिलाएं भी शामिल हुईं।





