मुंगेली प्रीतेश अज्जू आर्य ✍🏻, ,परमात्मा की याद तब गहरी होने लगती है जब खुद का मन साफ होने लगता है पर यह और गहरी तब होती है जब जिनके साथ हम रहते हैं घर /ऑफीस उनसे हमारे सम्बंध साफ और सुन्दर होने लगते हैं, “भगवान को वो तो भाता ही है जो उसे याद करता है पर वो उसका प्राणप्रिय बन जाता है जो अपने कर्मों से ,गुणों से दूसरों को भी उसकी याद दिलाता है
इसलिए केवल अपने दुख से छूटने के लिए भगवान को याद नहीं करना है उसकी याद के साथ साथ सबसे मधुर सम्बंध बनाते जाना है, सबके दुख दूर करने के लायक बनेंगे तो उसकी याद की ज्वाला और ही दहक उठेगी।
संकल्पों का महत्व उन्हें ही समझ आता है जो अपने आपको देह नहीं आत्मा समझते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि जैसे तन को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा भोजन अनिवार्य है वैसे ही अच्छे मन अर्थात आत्मा के लिए अनिवार्य है अच्छे संकल्प क्योंकि संकल्प ही आत्मा का भोजन है इसलिए सुबह उठने से ले कर शाम होने तक हमें ध्यान रखना है हम अपने आप को ( आत्मा) को कैसा भोजन खिला रहे हैं? यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने ब्रह्मकुमारी के प्रभु दर्शन भवन में ब्रह्मा कुमार भाई बहनों के लिए गहन योग साधना में साधकों को संबोधित करते हुए बताया कि
हमने बहुत गलत सोचा है इसलिए अब लो फील होता है अब अच्छा सोचने की दोगुनी मेहनत करेंगे तो आपकी भावना का आधार आपके मन में बार बार उठने वाले संकल्प हैं,यही संकल्प बॉडी में उसी प्रकार के रसायन निर्माण करवाते हैं जो हमें फील होते हैं जैसा संकल्प वैसी फिलिंग और रोज रोज की वही फीलिंग आपके ( भावना) बन जाते है !
स्थूल शरीर की कोई भी कठिनाई हो,बीमारीं हो हमारे संकल्प ही उसका आधार हैं, इसलिए आज बहुत सी बीमारियां हैं अर्थात बिमारियों की जड़ है आपके नकारात्मक विचार!जैसे चिंता,भय,, पुराने कटु अनुभवको याद करना,मन मे किसी के प्रति नफरत,ईर्ष्या , अपने विचारों को शुद्ध सकारात्मक करेंगे और परमात्मा यानी विश्व की सुप्रीम पावर से स्नेह की लेन देन की आदत बना लेंगे तो बीमारियां होंगी ही नहीं और यदि होंगी भी तो वह ठीक होना शुरु हो जाएंगी! सदा याद रखिए हमारे दो शरीर हैं एक स्थूल और एक सूक्ष्म! सूक्ष्म को स्वस्थ,पावरफुल रखने का आधार है हमारी ओवरऑल सोच,संकल्पो की गुणवत्ता! और यदि सूक्ष्म सही है तो स्थूल अपने आप सही हो जाएगा!* आप शरीर नहीं…. आत्मा हो यह कभी भी नहीं भूलना है और दिनभर मे जब भी समय मिले एकांत में आत्मचिंतन और परमात्मा का ,ज्ञान का चिंतन करना यह आत्मा का श्रेष्ठ खुराक है,व्यर्थ से मुक्त रहने का उपाय है।
राजयोग के ज्ञान को प्रैक्टिकल में इस्तेमाल करना यह भी परमात्मा की याद ही है। कार्यक्रम के अंत में ब्रह्माकुमारी सीमा बहन ने सभी को अपने प्रेरणा युक्त वचनों से लाभान्वित किया कहा की जीवन को श्रेष्ठ बना ने के लिए अपने संकल्प और समय को सफल करना है और सफलता मुर्त का वरदान परमात्मा से लेना है। कार्यक्रम के अंत में सभी को वरदान व प्रसाद वितरित किया गया।