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मुंगेली धर्म नगरी में आयोजित श्री शिवमहापुराण का आज 6 वा दिवस में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक गिरी बापू द्वारा भगवान महादेव की सुंदर महिमा का गायन किया


खबरदार न्यूज़ ✍🏻मुंगेली धर्म नगरी में आयोजित श्री केसरवानी परिवार द्वारा आयोजित श्री शिवमहापुराण का आज 6 वा दिवस में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक गिरी बापू द्वारा भगवान महादेव की सुंदर महिमा का गायन किया और कहा कि जो मनुष्य इस लिंग स्वरूप की पूजा करते हैं उसे जीवन की सभी दुखों से मुक्ति मिलती है,और कहा महादेव को कभी सामने से प्रणाम नहीं करनी चाहिए

,उसे उत्तर की ओर सर और दक्षिण की ओर पैर करके पुरुष शरीर को प्रणाम करनी चाहिए और नारी शरीर को दंडवत प्रणाम नहीं कर सकते ,आगे बताया जो पुरुष नारी का सम्मान करता है उसे जगत में महानता मिलती है और आगे बताया की एक ज्योति लिंग की पूजा करने से एक करोड़ शिवलिंग की पूजा हो जाती है लिंगो की महिमा बताइए जिसमें पाषाण लिंग,ताम्र लिंग, नर्मदा से निकले लिंग, स्फटिक लिंग जिसे विष्णु भगवान ने मां लक्ष्मी को को दी और आगे बताया लक्ष्मी जी ने महादेव की पूजा और भक्ति की तो विष्णुपति महालक्ष्मी कहलाए और जो साधक सोमवार को विशेष पूजा करें उपासना करें उसे महालक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है मूल हमारा शिव है मूल को सुरक्षित रखना है तो शिव को भजना चाहिए,

और आगे कहा परोपकारी माता-पिता उसे माननी चाहिए जिन्होंने अपने बच्चों को शिव भक्ति का दान दिया हो और अपने बच्चों को एक रुद्राक्ष की माला देना चाहिए शिव से कोई श्रेष्ठ नहीं है और शिव के बिना उधर नहीं हो सकता आत्मा लिंग स्वरूप है और संपूर्ण आकाश शिवलिंग के रूप है और आगे बताया राजा दशरथ ने पुत्र कामना के लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा की थी पार्थिव शिवलिंग मनुष्य की सारी मनोकामना पूर्ण करती है जो मनुष्य पार्थिव शिवलिंग की पूजा करती है उसे अकाल मृत्यु नहीं होती जो शिव भक्त होकर विष्णु जी का अपमान करें उसे नर्क में गति मिलती है केतकी पुष्प महादेव के मस्तिष्क में रखा उसे अपनी जाति में श्रेष्ठ होने का अहंकार होने लगा इसीलिए महादेव उसे त्याग दिया इसीलिए महादेव अपने मस्तिष्क को हिलाया तो नीचे गिर गया समर्थ का कभी अभिमान नहीं करना चाहिए कदम कदम पर सावधानी से कर्म करना चाहिए कर्मों के गति मौन होती है,

महादेव जगत के ईश्वर हैं महादेव से बड़ा कोई नहीं है,और बताया कि सभी तीर्थों का पुण्य तभी मिलता है जब पुष्कर भगवान ब्रह्मा जी के मंदिर का जो दर्शन करते हैं उसके बिना तीर्थ यात्रा का पुण्य अधूरी मानी जाती है ,पूरा पंडाल शिवमय हो गया कोई ऐसा नहीं था जो कथा को छोड़कर जाए सभी शिव भगति में डूब गया उसके बाद माता सती का जन्म राजा दक्ष के यहां होती है और सभी देव,गढ़ आकाश से पुष्पों की वर्षा करने लगते है।


Pritesh Arya

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