Chhattisgarh

एक ही दिन में जनसहयोग से स्टॉप डैम निर्माण


ग्राम बिसौनी में जल संरक्षण और पर्यावरण बचाने की अनोखी मिसाल

अचानकमार अभ्यारण्य के सुदूर वनांचल स्थित वनग्राम बिसौनी में गर्मी के मौसम में पानी की समस्या हर वर्ष विकराल रूप ले लेती है। इसी चुनौती से राहत दिलाने के लिए प्रयास A Small Step Foundation की टीम ने ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा—
गांव के समीप स्थित बरसाती नाले पर सामूहिक श्रमदान से स्टॉप डैम निर्माण।

टीम के सुझाव पर ग्रामीणों ने बिना किसी हिचक के पूर्ण सहमति जताई। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ महामाई पंचायत के सरपंच श्री अमर धुर्वे ने भी इस पुनीत कार्य में पूरे उत्साह से सहयोग करने का संकल्प लिया।

रविवार की सुबह 8:00 बजे ग्राम बिसौनी का माहौल देखने लायक था—
गांव की महिलाएँ, पुरुष, बच्चे… सभी फावड़ा, गैंती और धमेली लेकर नाले की ओर पहुँच गए।
सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक लगातार मेहनत, श्रमदान और सामूहिक सहयोग की अनोखी तस्वीर देखने को मिली।

कुछ ही घंटों की मेहनत से अस्थायी स्टॉप डैम तैयार हो गया—और सबसे खास बात, यह सब बिना किसी लागत, सिर्फ जनसहयोग से संभव हुआ। काम पूरा होने के बाद प्रयास फाउंडेशन की टीम ने सभी श्रमिक ग्रामीणों को गरमा-गरम नमकीन और मिठाई का स्वल्पाहार प्रदान कर सम्मानित किया।

फाउंडेशन के इन प्रयासों ने न केवल पानी की समस्या के समाधान की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया, बल्कि ग्रामीणों में प्रकृति संरक्षण और जिम्मेदारी की नई चेतना भी जगाई।

कार्यक्रम के दौरान टीम ने पानी की बचत, वर्षा जल-संचयन, स्वच्छ जल उपयोग, तथा पेड़-पौधों के संरक्षण पर जागरूकता बढ़ाते हुए ग्रामीणों को सरल और व्यवहारिक सुझाव दिए।
इसके साथ ही नाले की सफाई, पौधारोपण, वाटर हार्वेस्टिंग, और कचरा प्रबंधन जैसी गतिविधियों ने गांव में पर्यावरण सुधार का सकारात्मक माहौल तैयार किया।

ग्रामीणों ने भावुक होकर कहा—
“जल और प्रकृति बचाने की यह आवाज न केवल हमें जागरूक करती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मीद की नई रोशनी जगाती है।”

ग्रामीणों, युवाओं और महिलाओं की सहभागिता ने यह साबित कर दिया कि जब समाज और संस्था मिलकर आगे बढ़ते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
एक ही दिन में तैयार हुआ यह स्टॉप डैम इस बात का प्रतीक है कि संकल्प और सामूहिक प्रयास से बड़े चमत्कार भी रचे जा सकते हैं।

फाउंडेशन की टीम ने बताया कि उद्देश्य सिर्फ एक अभियान चलाना नहीं, बल्कि लोगों की सोच में ऐसा बदलाव लाना है कि हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बने।
टीम ने कहा—
“छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव लाते हैं… और बिसौनी इसका जीता-जागता प्रमाण है।”


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Pritesh Arya

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