गिरि बापू जी ने शिव महापुराण कथा का किया दिव्य शुभारंभ: “शिव तत्व को समझना ही मोक्ष की ओर पहला कदम है”

मुंगेली – मुंगेली की पावन भूमि पर मंगलवार को आदर्श कृषि उपज मंडी के प्रांगड़ में श्री शिव महापुराण के 811 वी कथा का विधिवत आरंभ हुआ। कथा के प्रथम दिवस परम पूज्य अंतराष्ट्रीय कथावचक गिरि बापू जी ने अपने ओजस्वी और गूढ़ प्रवचनों के माध्यम से श्रोताओं को भगवान शिव के तत्व, उनके विराट स्वरूप, और शिव महापुराण की आध्यात्मिक महत्ता से परिचित कराया।
सुबह से ही भव्य कथा स्थल पर श्रद्धालु भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। ‘हर हर महादेव’ और ‘ॐ नमः शिवाय’ के मंत्रोच्चारों से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से स्पंदित हो उठा था जिसके बाद दोपहर 3 बजे से कथा वाचक परम श्रद्धेय गिरि बापू जी ने अपने पहले ही दिन के प्रवचन से श्रद्धालुओं को शिव तत्व के उस सत्य से परिचित कराया, जो न केवल धर्म और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि आत्मज्ञान और मोक्ष का द्वार भी है शिव कोई देवी-देवता नहीं हैं, वे तो चेतना के उस स्तर का नाम हैं, जहाँ पहुँचकर आत्मा मुक्त हो जाती है, उन्होंने शिव को “न आदि, न अंत” वाला बताया — एक ऐसी दिव्य सत्ता जो सृजन से पहले भी थी और प्रलय के बाद भी रहेगी। शिव को उन्होंने “शून्य में व्याप्त अनंत” की उपाधि दी। गिरि बापू जी ने कहा कि शिव महापुराण केवल धर्मकथा नहीं, बल्कि जीवन का जीवित दर्शन है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार एक सामान्य व्यक्ति, शिव तत्व को आत्मसात करके जीवन को धन्य बना सकता है।
इसके पहले सुबह केशरवानी परिवार के घर से पोथी कलश यात्रा में बड़ी संख्या में शमिल हुए महिलाओं नें पुरे नगर में भ्रमण करते हुए एक आध्यात्मिक वातावारण बनाते हुए कथा स्थल मंडी परिसर में पहुंचे | कलश यात्रा का विभिन्न जगहों में पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया साथ ही नगर के श्रद्धांलुओं द्वारा पानी शरबत की भी व्यवस्था की गई थी | 11 जून तक चलने वाले पावन समय में बापू गिरी जी के श्रीमुख से कथा सुनने का सौभाग्य सभी को मिलना है कथा सुनने वालों के लिए आयोजन समिति के द्वारा पूरी व्यवस्था की गई है | प्रथम दिन की कथा समाप्त होने के बाद भजन कीर्तन किया गया जिसमे श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में आनंद लिया, जिसके बाद यजमान और भक्तजनों नें आरती की प्रथम दिन के कथा पूर्ण की गई |