“शिव कथा” की दिव्यता से गुंजायमान हुआ मुंगेली — श्रद्धा, भक्ति और शिवत्व की त्रिवेणी

मुंगेली- छत्तीसगढ़ की पुण्यभूमि मुंगेली में इन दिनों एक ऐसा आध्यात्मिक संगम देखने को मिल रहा है, जहाँ श्रद्धा, शिवभक्ति और आत्मज्ञान की त्रिधारा बह रही है। प्रसिद्ध कथा वाचक पूज्य गिरिबापु के मुखारविंद से निकली “शिव कथा 811” की पावन गंगा अब अपने दूसरे दिन में प्रवेश कर चुकी है, और कथा पांडाल शिवत्व के भाव में डूब चुका है।l
- कथा स्थल को भव्य झूमरों, रुद्राक्ष-मालाओं और रूद्र स्त्रोतों की दिव्य गूंज से सजाया गया है। जैसे ही कथा का प्रारंभ होता है, वातावरण में एक अदृश्य ऊर्जा का संचार होता है—मानो स्वयं भोलेनाथ वहाँ उपस्थित होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हों।
पूज्य गिरिबापु ने आज की कथा में नारद जी को क्रोध आना,और शिव गणों को श्राप देना,फिर और ये भी कहा कि आप को श्राप देने के साथ ही कोई आपको वरदान देता हूं कि आपके अंदर से शिव भक्ति कभी नहीं जाएगी।उसके बाद विष्णु जी को श्राप दे दिया और कहा कि आप इन्हीं वानरों की सहायता आपको लेनी पड़ेगी। उसके बाद नारद जी को संताप हुआ और पश्चाताप होने लगा फिर विष्णु जी ने कहा कि आप भाल में त्रिपुंड , गले में रुद्राक्ष की माला,और पंचाक्षर स्त्रोत कि जाप करो, इसके साथ गिरी बापू ने कहा क्रोध होने पर विवेक नष्ट हो जाता है और और श्राप देने से सारी पुण्य खत्म हो जाती है , और गिरी बापू जी ने कहा महादेव की सबसे बड़ी पूजा मौन है फूल चढ़ाओ बेलपत्र चढ़ाव जल चढ़ाओ यह तो पूजा है ही लेकिन आप मंदिर में जाकर शांत बैठकर ध्यान करे इससे शिव पूजा हो जाती है उसके बाद रुद्राक्ष की महिमा बताइए की रुद्राक्ष पहनने वाले भक्ति में कोई मांस भक्षण, मद्यपान करने वाले ऐसे साधक को रुद्राक्ष पहनने से कोई लाभ नहीं होता रूद्राक्ष महिमा में एक1 मुखी से 14 मुखी तक बताया प्रकाश डाला।
आयोजित कथा पांडाल में न केवल मुंगेली बल्कि पुरे प्रदेश से से भी श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। भक्तों की आँखों में अश्रु हैं, मन में भक्ति है, और हृदय में शिव की उपस्थिति का गहन अनुभव। कई भक्तों ने यह भी बताया कि कथा के दौरान उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा का सजीव अनुभव हुआ।
इस पावन आयोजन का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल पर भी किया जा रहा है, जिससे देश-विदेश में बसे श्रद्धालु भी इस कथा में सम्मिलित हो रहे हैं। लाखों दर्शक मोबाइल या टीवी स्क्रीन पर बैठे-बैठे शिव भाव में लीन हो रहे हैं।
यह “शिव कथा” 11 जून तक चलेगी। प्रत्येक दिन अलग विषय—शिव-पार्वती विवाह, अर्जुन को पाशुपत अस्त्र प्राप्ति, रावण की शिव भक्ति—जैसे प्रसंगों पर गहराई से चर्चा होगी।