खुले ट्रांसफार्मरों से जान को खतरा: ट्रांसफार्मर में अधिकांश पर फेंसिंग व चारदीवारी नहीं, लटके व खुले वॉयर दे रहे हादसों को न्यौता, बिजली विभाग नहीं ले रहा सुध

मुगेली। जिले में बिजली विभाग की लापरवाही अब सीधे जनजीवन को खतरे में डाल रही है, लेकिन इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि स्थानीय प्रशासन इस पर पूरी तरह से मौन बना हुआ है। खुले ट्रांसफार्मर, नंगी तारें और लटकते बिजली के तार—जिन्हें देखकर भी आंख मूंद ली गई है—अब गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।
बारिश के मौसम में यह खतरा और भी बढ़ गया है। गीली ज़मीन पर फैली नंगी तारें और खुले पड़े ट्रांसफार्मर बिजली के झटकों का बड़ा कारण बन सकते हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता और विभागीय उदासीनता किसी भी हादसे के बाद केवल ‘जांच के आदेश’ तक ही सीमित रह जाने की आशंका को मजबूत करती है।
कई स्थानों पर लोगों ने बार-बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन न तो बिजली विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है, और न ही प्रशासन ने अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी से जवाब-तलब किया है। हाल ही में गौरवपथ क्षेत्र में सौंदर्यीकरण के नाम पर डिवाइडर की तोड़फोड़ के बाद, वहां बिजली की तारें बेतरतीबी से छोड़ दी गईं। इनमें से कई तारें अब भी बिना इंसुलेशन के नंगी हालत में मौजूद हैं, जो बच्चों, राहगीरों और वाहन चालकों के लिए जानलेवा बन चुकी हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि “जब तक किसी की जान नहीं जाएगी, तब तक प्रशासन जागेगा नहीं।” सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी दुर्घटना के बाद ही हरकत में आएगा? क्या पहले से स्पष्ट खतरे की अनदेखी कर उसे आम लोगों के लिए किस्मत का खेल बना दिया गया है?
प्रशासन और बिजली विभाग की आपसी टालमटोल और जिम्मेदारी से बचने की नीति ने मुंगेली को एक चलती-फिरती दुर्घटना-स्थल में तब्दील कर दिया है। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि जन सुरक्षा के प्रति सीधा अपराध है।