मुँगेलीरेल लाईन

आजादी के बाद से अब तक रेल का कर रहे हैं इंतजार, मुंगेली वासियों की चिंता कही आने वाली पीढ़ी के लिए भी न रह जाए सपना…

1917 में हुई थी स्वीकृत, अब तक शुरू नहीं हुआ निर्माण


खबरदार न्यूज़ खास खबर ✍🏻अंग्रेजों के जमाने में 11 दशक पूर्व स्वीकृत उसलापुर-मुंगेली-कवर्धा रेल लाइन सपना बनकर रह गया है। रेल लाइन 1917 में स्वीकृत हुई थी, जिसके लिए जमीन का अधिग्रहण भी किया गया था। किन्तु इस दिशा में आगे की कार्यवाही नहीं होने से नागरिकों में निराशा बनी हुई है।
जिले को मिलने वाली सौगात जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते ठंडे बस्ते में चली जाती है एवं अनेक घोषणाएं केवल कागजों पर सिमट जाती है। दो-दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी जिला अस्पताल में सिटी स्केन मशीन का लाभ क्षेत्र की जनता को नहीं मिल पाया। इसी तरह क्रिटिकल केयर यूनिट, हमर लैब, ऑडिटोरियम, चौपाटी, आगर नदी का सौंदर्याकरण, नेशनल हाईवे पर स्वीकृत बाईपास सड़क निर्माण सहित अनेक घोषणाएं कार्य के रूप में परिणित नहीं हो पा रही हैं। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहें या अधिकारियों की लापरवाही, जिले का समुचित विकास धरातल पर दृष्टिगोचर नहीं हो पाता है। उसलापुर-मुंगेली-कवर्धा- डोंगरगढ़ रेल लाइन की मांग वर्षों पुरानी है।
उस्लापुर से तखतपुर मुंगेली होते हुए जबलपुर से मंडला तक के लिए रेल लाइन 1917 में अंग्रेजों के समय ही स्वीकृत कर लिया गया था, जिसके लिये जमीन का अधिग्रहण भी किया गया था। बल्कि इसके लिए जो जमीनें चिन्हांकित की गई थीं, उस पर भी कब्जा हो गया। इसके पश्चात इस रेल लाइन के लिए फिर से कोशिश शुरू हुई। जिले का हक नगरवासियों को देर सबेर मिल भी गया, परन्तु रेल व बायपास सड़क का सपना घोषणा के बाद अब तक पूरी नहीं हो पाई। उसलापुर-मुंगेली-कवर्धा-डोंगरगढ़ नई रेल लाइन क्षेत्र के करोड़ों लोगों का जीवन
बदल देगी, लेकिन विडंबना है कि घोषणा के 9 साल बाद भी इस पर काम शुरू तक नहीं हो सका। नई रेल लाईन में तखतपुर, मुंगेली, लोरमी, पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, छुईखदान, डांडीलोहारा, राजनांदगांव, डोंगरगढ़ सहित दर्जनभर विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। यानी इन क्षेत्रों की जनता को इसका सीधा लाभ मिलेगा, इस लिहाज से यह राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
इसके बावजूद इसे शुरू करवाने में राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ रेलवे कॉपोरेशन लिमिटेड ने 270 किमी रेल लाइन का सर्वे वर्षों पहले
पूरा कर लिया था। रेल बजट में वर्ष 2016 में रेल लाइन निर्माण की घोषणा के साथ ही इस पर करीब 5950.47 करोड़ रुपए का बजट भी अनुमानित किया गया था। इसके पश्चात वर्ष 2024-25 में प्रदेश के बजट में 300 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था। जनप्रतिनिधियों की निर्षक्रयता के चलते न तो जमीन अधिग्रहण का काम शुरू हुआ, न ही रेल लाइन बिछ सकी।
इस रेल लाइन से दर्जनभर विधानसभा क्षेत्र के लोग लाभान्वित होते। रेल बजट में वर्ष 2016 में रेल लाइन निर्माण की घोषणा की गई, इससे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लोगों ने खुले दिल से इस घोषणा का स्वागत किया था। साथ ही उम्मीद जताई थी, कि अब जल्द ही उन्हें यह सौगात मिल सकेगी। रेल मंत्रालय और राज्य शासन ने मिलकर इसके लिए छत्तीसगढ़ रेलवे कॉपोर्रेशन लिमिटेड भी बनाया। लेकिन विडंबना है कि 9 साल बाद भी करीब 270 किमी रेल लाइन का अधिग्रहण नहीं हो पाया। शासन ने वर्ष 2023 तक इस रूट पर ट्रेन चलवाने के दावे किए थे, लेकिन अब तक शिलान्यास के अलावा कुछ नहीं हो सका। क्षेत्र के करोड़ों लोगों को इस रूट पर ट्रेनों के परिचालन का इंतजार है।

Pritesh Arya

छत्तीसगढ़ की ताज़ा खबरें पढ़ें khabardaar36.com पर – राजनीति, अपराध, शिक्षा, खेल और प्रशासन से जुड़ी हर बड़ी और ब्रेकिंग न्यूज़, सबसे पहले और सबसे सटीक।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button